जब हम जिंदगी के बुरे वक़्त से गुजर रहे होते है जहाँ एक एक पल चुभता जाता है तब एक सोच पर अडिग रहना होता है। वो है "सकरात्मक" सोच। मेहनत निरंतर करते हुए , सरल - सहज स्वभाव संग एक दिन बुरा वक़्त भी दूर हो जाता है।
ऐसा ही उदहारण "किसी कि जिंदगी के लिए" NGO के संस्थापक हरमीत शर्मा जी का है। जिन्होंने मेहनत , लगन से वो मुकाम पाया जिसे पाने में लोग अनेक वर्ष लगा देते है। 17 वर्ष की आयु में एक बाइक दुर्घटना में हरमीत शर्मा 2 घण्टे सड़क पर ही बेहोश पड़े रहे। पता लगने पर जब हॉस्पिटल हरमीत को एडमिट करवाया गया , पता लगा हरमीत कोमा में है। शुरुवात में डॉक्टर भी एडमिट करने के लिए मना कर रहे थे। पर परिवार वालों के आंसू कह रहे थे। हरमीत अभी उठ जायेगा। तीन दिन के पश्चात डॉक्टर ने कहा हरमीत नाउ सेफ। हरमीत एक्सीडेंट के कारण दुर्घटना वाला दिन भूल चूका था। हॉस्पिटल में एक महीने बाद जब हरमीत को होश आया , तब हरमीत खुद हैरान था , मैं हॉस्पिटल कैसे ?
पर हरमीत ने हार न मानी। पुनः फिर पढ़ाई शुरू की और अपनी बारहवीं पूरी की। हरमीत के परिणाम से ना केवल हरमीत खुद हैरान था , बल्कि सब शिक्षक भी हैरान थे। हरमीत ने पँजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक डिग्री हासिल की। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से मास्टर इन मास कम्युनिकेशन डिग्री हासिल की।
हरमीत जी ने "किसी कि जिंदगी के लिए" संस्था शुरू की। साथ डॉ प्रियंका शर्मा के साथ "मासूम दिल " संस्था शुरू की। हरमीत जी एक कवि भी है , इनकी दो किताबें अब तक प्रकाशित हो चुकी है। "तेरे - संग" और "एंजेल " यूट्यूब पर इनके अपने चैनल पर अपना RJ शौ भी चलाते है।
आप अपने मन के पंखो उड़ान दीजिये। अपने सपनों , विचारो सब को जिन्दा रखो। इस दुनिया में सब संभव है। समाज के कठोर बंधनो से ना डरते हुए , जात - धर्म सब भूलते हुए आगे बढ़ो। क्योंकि खुद ईश्वर कह गए , ख़ुदा एक है बन्दे।
ईश्वर तेरे - संग है। माना वक़्त बीत गया है। पर देख आज ख़ुदा ने स्वप्न तेरा साकार कर दिया है। अब निर्भर तुझ पर है , समाज को चुनता है या फिर ख़ुदा के तोफे को। तोफा चुनना बेहतर होता है। क्योंकि तोफे में वही होता है जो तुमने हज़ारों दुआ कर पाया है। और पसन्द का निर्णय हो तो बेहतर ही होता है। क्योंकि पसंद व नापसंद रूह पर निर्भर होती है। और रूह तुम्हारी होती है , ना कि समाज की।
"मासूम दिल "💗
डॉ प्रियंका शर्मा
कवि हरमीत शर्मा
poetharmeetsharma.blogspot.com
ऐसा ही उदहारण "किसी कि जिंदगी के लिए" NGO के संस्थापक हरमीत शर्मा जी का है। जिन्होंने मेहनत , लगन से वो मुकाम पाया जिसे पाने में लोग अनेक वर्ष लगा देते है। 17 वर्ष की आयु में एक बाइक दुर्घटना में हरमीत शर्मा 2 घण्टे सड़क पर ही बेहोश पड़े रहे। पता लगने पर जब हॉस्पिटल हरमीत को एडमिट करवाया गया , पता लगा हरमीत कोमा में है। शुरुवात में डॉक्टर भी एडमिट करने के लिए मना कर रहे थे। पर परिवार वालों के आंसू कह रहे थे। हरमीत अभी उठ जायेगा। तीन दिन के पश्चात डॉक्टर ने कहा हरमीत नाउ सेफ। हरमीत एक्सीडेंट के कारण दुर्घटना वाला दिन भूल चूका था। हॉस्पिटल में एक महीने बाद जब हरमीत को होश आया , तब हरमीत खुद हैरान था , मैं हॉस्पिटल कैसे ?
पर हरमीत ने हार न मानी। पुनः फिर पढ़ाई शुरू की और अपनी बारहवीं पूरी की। हरमीत के परिणाम से ना केवल हरमीत खुद हैरान था , बल्कि सब शिक्षक भी हैरान थे। हरमीत ने पँजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक डिग्री हासिल की। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से मास्टर इन मास कम्युनिकेशन डिग्री हासिल की।
हरमीत जी ने "किसी कि जिंदगी के लिए" संस्था शुरू की। साथ डॉ प्रियंका शर्मा के साथ "मासूम दिल " संस्था शुरू की। हरमीत जी एक कवि भी है , इनकी दो किताबें अब तक प्रकाशित हो चुकी है। "तेरे - संग" और "एंजेल " यूट्यूब पर इनके अपने चैनल पर अपना RJ शौ भी चलाते है।
आप अपने मन के पंखो उड़ान दीजिये। अपने सपनों , विचारो सब को जिन्दा रखो। इस दुनिया में सब संभव है। समाज के कठोर बंधनो से ना डरते हुए , जात - धर्म सब भूलते हुए आगे बढ़ो। क्योंकि खुद ईश्वर कह गए , ख़ुदा एक है बन्दे।
ईश्वर तेरे - संग है। माना वक़्त बीत गया है। पर देख आज ख़ुदा ने स्वप्न तेरा साकार कर दिया है। अब निर्भर तुझ पर है , समाज को चुनता है या फिर ख़ुदा के तोफे को। तोफा चुनना बेहतर होता है। क्योंकि तोफे में वही होता है जो तुमने हज़ारों दुआ कर पाया है। और पसन्द का निर्णय हो तो बेहतर ही होता है। क्योंकि पसंद व नापसंद रूह पर निर्भर होती है। और रूह तुम्हारी होती है , ना कि समाज की।
"मासूम दिल "💗
डॉ प्रियंका शर्मा
कवि हरमीत शर्मा
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