Thursday, 23 April 2020

अवसाद और हार


आज कल की इस दैनिक जिंदगी में , भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई परेशान है और दुःखी है। अधिकतर लोग भविष्य की चिंता में डूबे रहते है , जिस वजह वो आज को भी जीना भूल जाते है।  कुछ लोग मेहनत का सही परिणाम न मिलने के कारण दुखी हो जाते है , जिस वजह वो ख़ुद से भी प्रेम करना भूल जाते है।  अंक और परिणाम हमारा भविष्य तय नहीं करते , हमारी सकारात्मक सोच और निरंतर मेहनत ही हमारा भविष्य तय करती है। 
जो लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते है , वो शारीरिक भी कमजोर हो जाते है।  क्योंकि डिप्रेशन की वजह मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है , और मस्तिष्क पर दबाव पड़ने से शरीर कमजोर होता है।  ऐसे लोग सदा अवसादों से घिरे रहते है। अपने साथी की तरक्की देख ख़ुद को कोसते रहते है।  जो सबसे बड़ी हार है। 
कलयुग का वक़्त है। कुछ ही साथी यहाँ एक सोच वाले पाए जा सकते है , क्योंकि इसके पीछे उनकी सकारात्मक सोच होती है।  जैसे की "मासूम दिल " संस्था के संस्थापक डॉ प्रियंका शर्मा व कवि हरमीत शर्मा , दोनों ने ही अपनी जिंदगी में मेहनत कर सकारात्मक सोच के संग उच्च स्थान हासिल किया है।  परन्तु आज कुछ ऐसे भी लोग है , जो सच जानते हुए भी खुद को और समाज को झूठी तसल्ली देते रहते है और जीवन लालच के कारण नष्ट कर देते है।  उन्हें बस किसी तरह पैसे जोड़ने की होड़ बनी रहती है , इस वजह चाहे ख़ुद को दोखा ही क्यों न देना पड़ जाए।  सरकार कि स्कीमों का भरपूर फायदा उठाते है , धनी लोग इस कार्य में निर्धन सूचि में नाम लिखवाते है।  जिस वजह अनाज और पैसो का जरूरतमंद लोगो तक पहुँचना कठिन हो जाता है। 
संघर्ष करते रहना चाहिए एक दिन किस्मत का सितारा जरूर चमकता है।  समय का सदुपयोग करते रहना चाहिए।  24 घण्टे मोबाइल की स्क्रीन पर चिपके रहने की विपरीत प्रेरणा दायक किताबें पढ़ना चाहिए।

डॉ प्रियंका शर्मा  Dr. Priyanka Sharma
कवि हरमीत शर्मा  Poet Harmeet Sharma

डॉ प्रियंका शर्मा 

कवि हरमीत शर्मा 



Thursday, 9 April 2020

निरंतर प्रयास MOTIVATION Article

जब हम जिंदगी के बुरे वक़्त से गुजर रहे होते है जहाँ एक एक पल चुभता जाता है तब एक सोच पर अडिग रहना होता है।  वो है "सकरात्मक" सोच। मेहनत निरंतर करते हुए , सरल - सहज स्वभाव संग एक दिन बुरा वक़्त भी दूर हो जाता है।
ऐसा ही उदहारण "किसी कि जिंदगी के लिए" NGO के संस्थापक हरमीत शर्मा जी का है।  जिन्होंने मेहनत , लगन से वो मुकाम पाया जिसे पाने में लोग अनेक वर्ष लगा देते है।  17 वर्ष की आयु में एक बाइक दुर्घटना में हरमीत शर्मा 2 घण्टे सड़क पर ही बेहोश पड़े रहे।  पता लगने पर जब हॉस्पिटल हरमीत को एडमिट करवाया गया , पता लगा हरमीत कोमा में है। शुरुवात में डॉक्टर भी एडमिट करने के लिए मना कर रहे थे। पर परिवार वालों के आंसू कह रहे थे। हरमीत अभी उठ जायेगा। तीन दिन के पश्चात डॉक्टर ने कहा हरमीत नाउ सेफ। हरमीत एक्सीडेंट के कारण दुर्घटना वाला दिन भूल चूका था। हॉस्पिटल में एक महीने बाद जब हरमीत को होश आया , तब हरमीत खुद हैरान था , मैं हॉस्पिटल कैसे ?
पर हरमीत ने हार न मानी। पुनः फिर पढ़ाई शुरू की और अपनी बारहवीं पूरी की। हरमीत के परिणाम से ना केवल हरमीत खुद हैरान था , बल्कि सब शिक्षक भी हैरान थे।  हरमीत ने पँजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक डिग्री हासिल की।  चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से मास्टर इन मास कम्युनिकेशन डिग्री हासिल की।
हरमीत जी ने "किसी कि जिंदगी के लिए" संस्था शुरू की। साथ डॉ प्रियंका शर्मा के साथ "मासूम दिल " संस्था शुरू की। हरमीत जी एक कवि भी है , इनकी दो किताबें अब तक प्रकाशित हो चुकी है। "तेरे - संग" और "एंजेल "  यूट्यूब पर इनके अपने चैनल पर अपना RJ शौ भी चलाते है। 
आप अपने मन के पंखो उड़ान दीजिये।  अपने सपनों , विचारो सब को जिन्दा रखो। इस दुनिया में सब संभव है। समाज के कठोर बंधनो से ना डरते हुए , जात - धर्म सब भूलते हुए आगे बढ़ो।  क्योंकि खुद ईश्वर कह गए , ख़ुदा एक है बन्दे। 
ईश्वर तेरे - संग है।  माना वक़्त बीत गया है।  पर देख आज ख़ुदा ने स्वप्न तेरा साकार कर दिया है।  अब निर्भर तुझ पर है , समाज को चुनता है या फिर ख़ुदा के तोफे को।  तोफा चुनना बेहतर होता है।  क्योंकि तोफे में वही होता है जो तुमने हज़ारों दुआ कर पाया है।  और पसन्द का निर्णय हो तो बेहतर ही होता है।  क्योंकि पसंद व नापसंद रूह पर निर्भर होती है।  और रूह तुम्हारी होती है , ना कि समाज की। 

"मासूम दिल "💗
डॉ प्रियंका शर्मा
कवि हरमीत शर्मा
poetharmeetsharma.blogspot.com