आज कल की इस दैनिक जिंदगी में , भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई परेशान है और दुःखी है। अधिकतर लोग भविष्य की चिंता में डूबे रहते है , जिस वजह वो आज को भी जीना भूल जाते है। कुछ लोग मेहनत का सही परिणाम न मिलने के कारण दुखी हो जाते है , जिस वजह वो ख़ुद से भी प्रेम करना भूल जाते है। अंक और परिणाम हमारा भविष्य तय नहीं करते , हमारी सकारात्मक सोच और निरंतर मेहनत ही हमारा भविष्य तय करती है।
जो लोग डिप्रेशन का शिकार हो जाते है , वो शारीरिक भी कमजोर हो जाते है। क्योंकि डिप्रेशन की वजह मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है , और मस्तिष्क पर दबाव पड़ने से शरीर कमजोर होता है। ऐसे लोग सदा अवसादों से घिरे रहते है। अपने साथी की तरक्की देख ख़ुद को कोसते रहते है। जो सबसे बड़ी हार है।
कलयुग का वक़्त है। कुछ ही साथी यहाँ एक सोच वाले पाए जा सकते है , क्योंकि इसके पीछे उनकी सकारात्मक सोच होती है। जैसे की "मासूम दिल " संस्था के संस्थापक डॉ प्रियंका शर्मा व कवि हरमीत शर्मा , दोनों ने ही अपनी जिंदगी में मेहनत कर सकारात्मक सोच के संग उच्च स्थान हासिल किया है। परन्तु आज कुछ ऐसे भी लोग है , जो सच जानते हुए भी खुद को और समाज को झूठी तसल्ली देते रहते है और जीवन लालच के कारण नष्ट कर देते है। उन्हें बस किसी तरह पैसे जोड़ने की होड़ बनी रहती है , इस वजह चाहे ख़ुद को दोखा ही क्यों न देना पड़ जाए। सरकार कि स्कीमों का भरपूर फायदा उठाते है , धनी लोग इस कार्य में निर्धन सूचि में नाम लिखवाते है। जिस वजह अनाज और पैसो का जरूरतमंद लोगो तक पहुँचना कठिन हो जाता है।
संघर्ष करते रहना चाहिए एक दिन किस्मत का सितारा जरूर चमकता है। समय का सदुपयोग करते रहना चाहिए। 24 घण्टे मोबाइल की स्क्रीन पर चिपके रहने की विपरीत प्रेरणा दायक किताबें पढ़ना चाहिए।
डॉ प्रियंका शर्मा Dr. Priyanka Sharma
कवि हरमीत शर्मा Poet Harmeet Sharma
डॉ प्रियंका शर्मा |
कवि हरमीत शर्मा |